बाराबंकी। ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) @aimim_national प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के एक कार्यक्रम में कोविड-19 दिशा-निर्देशों का उल्लंघन और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में उनके और आयोजक मंडल के खिलाफ मामला दर्ज करने के कुछ ही घंटों बाद एक और एफआईआर दर्ज की गई है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को लेकर है।
@Barabankipolice पुलिस के मुताबिक अपने कार्यक्रम में एआईएमआईएम प्रमुख @asadowaisi ने प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रदेश सरकार के खिलाफ भी अभद्र टिप्पणियां की। इस सम्बन्ध में ओवैसी और आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। ओवैसी और आयोजकों के खिलाफ इस एफआईर के कुछ ही घंटों बाद जनसभा के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के कथित अपमान को लेकर एक और मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार ओवैसी की जनसभा के दौरान मंच पर तिरंगा फहराने के बजाय चौकोर खंभे में उसे लपेटने का आरोप लगा है। कोतवाली प्रभारी अमर सिंह ने शुक्रवार को बताया कि जनसभा मामले में पहले दर्ज कराये गये मामले के बाद अब राष्ट्रीय ध्वज के कथित अपमान पर भारतीय ध्वज आचार संहिता 2002 निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इससे पहले ओवैसी ने अपने कार्यक्रम में महामारी अधिनियम और प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति का उल्लघंन तो किया ही, साथ ही अपने भाषण से धार्मिक उन्माद भड़काने की भी कोशिश की। पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और महामारी अधिनियम का उल्लघंन करने और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करने को लेकर शहर कोतवाली में केस दर्ज किया गया।
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ओवैसी ने कार्यक्रम में कहा कि कोतवाली रामसनेहीघाट में प्रशासन ने 100 साल पुरानी मस्जिद को तुड़वा दिया और उसका मलबा भी वहां से पूर्ण रूप से हटा दिया गया, जबकि बाराबंकी के जिला मजिस्ट्रेट आदर्श सिंह के मुताबिक संरचना अवैध थी, और तहसील प्रशासन को 18 मार्च को इसका कब्जा मिला था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दो अप्रैल को इस संबंध में दायर एक याचिका का निपटारा किया था, जो साबित करती है कि निर्माण अवैध था।
इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (कोई व्यक्ति अगर लिखित या मौखिक रूप से ऐसा बयान देता हैं जिससे सांप्रदायिक दंगा या तनाव फैलता है या समुदायों के बीच शत्रुता पनपती हैं), 188 (लोक सेवक के आदेश की अवहेलना करना), 269 (लापरवाही से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी फैलने की संभावना), 270 (घातक कार्य से बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना) व महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।