नई दिल्ली। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई बुधवार को राज्य के 23वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके साथ ही बोम्मई मुख्यमंत्री बनने वाले देश के चुनिन्दा पिता-पुत्र की जोड़ी में शामिल हो गए हैं। देश के कई राज्यों में पिता के बाद पुत्र भी राज्य की कमान संभाल चुके हैं। इनमें कुछ को ये पद वंशवाद की राजनीति के कारण मिला तो कुछ ने संघर्ष और जनता के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली।
पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर बसवराज बोम्मई की बात करें तो वह लिंगायत समुदाय से आते हैं। बसवराज 2008 में भाजपा में शामिल हुए और इसके बाद उनका कद बढ़ता चला गया। अभी तक वह राज्य के गृह मंत्री के साथ संसदीय कार्य मंत्री और कानून मंत्री का पद भी संभाल रहे थे। बोम्मई को बीएस येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है। इससे पहले उनके पिता एसआर बोम्मई वर्ष 1988 से 1989 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल चुके हैं।
बोम्मई परिवार से पहले कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार के भी पिता-पुत्र मुख्यमंत्री का पदभार संभाल चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। इसके बाद उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी भी राज्य के मुख्यमंत्री बने।
दक्षिण के अन्य राज्य तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से पहले उनके पिता एम करुणानिधि भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। करुणानिधि के निधन के बाद स्टालिन ने पार्टी की कमान संभाली और पिछले विधान सभा चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी को जनता का भरपूर समर्थन मिला। इस तरह स्टालिन अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
इसी तरह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले उनके पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी वर्ष 2004 से 2009 तक मुख्यमंत्री रहे थे।
इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उनके पिता दोरजी खांडू भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पेमा खांडू साल 2019 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जबकि उनके पिता दोरजी खांडू 2007 से साल 2011 तक मुख्यमंत्री रहे थे।
वहीं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का नाम भी देश के उन मुख्यमंत्रियों में शामिल है, जो अपने पिता के बाद राज्य की सत्ता पर काबिज हुए हैं। कोनराड संगमा के पिता पीए संगमा भी 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री रहे थे।
झारखंड में पिछले विधान सभा चुनाव में जीत हासिल कर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले उनके पिता शिबू सोरेन भी राज्य की कमान संभाल चुके हैं।
ओड़िशा में बीजू पटनायक दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे, जबकि उनके बेटे नवीन पटनायक वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने मार्च 2000 में सत्ता संभाली थी।
पिता-पुत्र के मुख्यमंत्री बनने की सूची में जम्मू कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार का नाम सबसे खास है। दरअसल पहले शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और उनके बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला ने राज्य की सत्ता संभाली।
शेख अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला के बाद उमर अब्दुल्ला ने भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का नाम भी इस सूची में शामिल है। इससे पहले उनके पिता शंकर राव चव्हाण भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
हरियाणा का चौटाला परिवार भी पिता-पुत्र के मुख्यमंत्री बनने वाले सियासी नेताओं में से एक है। ओम प्रकाश चौटाला के अलावा उनके पिता देवी लाल भी राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल चुके हैं।
इसी तरह समाजवादी पार्टी का गठन करने वाले मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वहीं वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जब सपा को पूर्ण बहुमत मिला तो मुलायम ने स्वयं मुख्यमंत्री न बनकर अपने पुत्र अखिलेश यादव को आगे किया। इसके बाद अखिलेश यादव ने राज्य की कमान संभाली।
अविभाज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहे उत्तराखण्ड भी इस तरह की सियासत से अछूता नहीं है। विजय बहुगुणा वर्ष 2012 से 2014 तक उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे। इससे पहले उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा अविभाज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।