देहरादून। पहाड़ की सियासत में अचानक बड़ा नाम बनकर उभरे पुष्कर सिंह धामी ने बतौर मुख्यमंत्री एक महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया है। किसी सरकार और मुख्यमंत्री दोनों के काम का आकलन करने के लिए ये वक्त बेहद कम है, लेकिन चुनावी मोड़ पर खड़े राज्य के मुख्यमंत्री के लिए यह वक्त ठीक उसी तरह है, जिस तरह किसी बल्लेबाज को अन्तिम ओवरों की कुछ गेंदों में बड़े लक्ष्य के साथ मैच जिताने की जिम्मेदारी निभानी होती है। पहाड़ के ही महेन्द्र सिंह धौनी इसके लिए दुनिया भर में मशहूर हैं, तो अब यहीं का एक युवा चेहरा राज्य की बागडोर संभालने के बाद इसी अन्दाज में अपनी छाप छोड़ने की कोशिश में है।
देखा जाए तो राज्य में दो बार मुख्यमंत्री बदलकर फजीहत झेल रहे भाजपा आलाकमान ने जब मुख्यमंत्री पद के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम की घोषणा की, तो उसी पल से धामी की चुनौती शुरू हो गई थी। पार्टी के दिग्गज नेताओं, विधायकों के असन्तुष्ट होने के कयास लगाये जाने लगे, लेकिन धामी ने अपनी कार्यशैली से जिस तरह सबको साधते हुए सन्तुलन स्थापित किया, उससे विरोधियों की भी बोलती बन्द हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी अब धामी के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि इन 30 दिनों में धामी को अभी से विधानसभा चुनाव के लिहाज से अजेय योद्धा के तौर पर देखा जा रहा है।
अपने फैसलों से धामी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि राज्य के युवा उनके एजेंडे के केन्द्र में हैं। इसलिए उन्होंने 24 हजार खाली पदों को भरने की घोषणा की। समूह ‘ग’ की नौकरी के लिए आयु सीमा में एक साल की छूट दी। इसी तरह पूर्व सैनिकों से लेकर महिलाओं, कर्मचारियों सहित सभी वर्गों को साधने का प्रयास किया है।
इसके साथ ही चिकित्सा क्षेत्र के लिए 205 करोड़ के पैकेज की घोषणा की। इसमें कोरोना महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों के लिए प्रोत्साहन पैकेज भी है। इससे प्रदेश के 3.73 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। आशाओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आगामी पांच माह तक दो-दो हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे।
इसी तरह जिला हरिद्वार एवं पिथौरागढ़ में राजकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना की स्थापना के लिए 70-70 करोड़ की धनराशि जारी की गई। श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज कुल 501 पद सृजित किए गए हैं।
वहीं प्रदेश में कोरोना से प्रभावित पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए लगभग 200 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया। इससे लगभग 1.64 लाख लोग लाभान्वित होंगे। कोरोना से प्रभावित परिवारों के निराश्रित बच्चों को सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत वात्सल्य योजना का शुभारम्भ किया गया।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना भी बेहद कम समय में उठाया अहम कदम साबित हुआ। दैवी आपदा में राहत कार्यों के लिए पिथौरागढ़ में दो माह के लिए हेलीकॉप्टर तैनाती का फैसला कर धामी ने यह सन्देश दिया कि मुसीबत के समय में लोगों के जान-माल की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी तरह उत्तराखण्ड से द्वितीय विश्व युद्ध की वीरांगना एवं वेटरन को अब प्रतिमाह पेंशन 10 हजार रुपये का निर्णय किया गया।
धामी की एक बड़ी कामयाबी नौकरशाही को सख्त सन्देश देना भी रहा। त्रिवेन्द्र सिंह रावत से लेकर तीरथ सिंह रावत की एक बड़ी कमजोरी नौकरशाही पर नियंत्रण नहीं होना रहा। इस वजह से पार्टी के लोग भी असन्तुष्ट रहते थे। तीरथ सिंह रावत ने कुर्सी संभालने के बाद अपना इरादा तो जताया लेकिन नौकरशाही के खेल में ऐसे उलझे कि बेबस बन गए और एक जिलाधिकारी तक को नहीं बदल पाए। जबकि धामी ने आते ही डॉ.एसएस संधू को मुख्य सचिव बनाकर सख्त सन्देश दिया कि जब राज्य का मुख्य सचिव बदला जा सकता है, तो अन्य अफसर भी गलतफहमी में न रहें।
उन्होंने देहरादून, हरिद्वार, चमोली, अल्मोड़ा के जिलाधिकारियों का तबादला देकर भी अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। वहीं सचिवालय में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समय से कुर्सी पर जमे नौकरशाहों को भी इधर से उधर किया। देखा जाए तो अपनी मर्जी से सब कुछ चलाने की मंशा रखने वाले वरिष्ठ नौकरशाहों पर धामी नकेल कसने में सफल हुए हैं।
इस तरह इन तीस दिनों के भीतर धामी ने यह भी साबित किया कि उन पर भरोसा करने का पार्टी नेतृत्व का फैसला पूरी तरह सही है। वहीं भविष्य में बीच राह में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने जैसी मुश्किलों से भी पार्टी नेतृत्व को जूझना नहीं पड़ेगा।