बाराबंकी। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ यहां एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। चौकी इंचार्ज ने इसे लेकर तहरीर दी थी, जिसके बाद बाराबंकी कोतवाली में ओवैसी और कार्यक्रम के आयोजक पर एफआईआर दर्ज की गई है।
असदुद्दीन ओवैसी का गुरुवार को कटरा मोहल्ले में कार्यक्रम था। आरोप है कि इस कार्यक्रम में उन्होंने महामारी अधिनियम और प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति का उल्लघंन तो किया ही, साथ ही अपने भाषण से धार्मिक उन्माद भड़काने की भी कोशिश की। इसे लेकर चौकी इंचार्ज हरिशंकर साहू ने तहरीर दी है।
पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और महामारी अधिनियम का उल्लघंन करने और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करने को लेकर शहर कोतवाली में केस दर्ज किया गया है।
इससे पहले ओवैसी ने बाराबंकी में कहा कि 2014 में जब से देश में बीजेपी की सरकार बनी तबसे सेकुलरिज्म कमजोर हुआ है। उन्होंने कहा कि सीएए का यूपी में विरोध हुआ तो 22 लोगों को गोली मार दी गई। लखनऊ, रामपुर समेत अन्य जगहों पर 22 लोगों की जान गई पर किसी ने संसद में खड़े होकर कुछ नहीं कहा। सीएए मजहब के आधार पर बनाया गया। ये संविधान के खिलाफ है।
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ओवैसी ने कहा कि 2014 से मॉब लिंचिंग के नाम पर निशाना बनाया जाता हैै। पूरे देश के मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाते हुए ओवैसी ने कहा कि अखलाक, पहलू खान, रकबर खान, तबरेज अंसारी इसका शिकार हुए। इनका वीडियो बनाया गया, लोगों को मैसेज देने की कोशिश की गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए ओवैसी ने कहा कि बाराबंकी में 100 साल पुरानी एक मस्जिद को शहीद किया गया। जिस वक्त लाशें नदियों में तैर रही थीं, लोग बिना ऑक्सीजन के मर रहे थे उस समय उस पर काम करने की बजाय मस्जिद को तोड़ रातों-रात मलबा हटा दिया गया। ओवैसी ने कहा कि मुसलमान 60 साल से यूपी में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोट देता आया लेकिन उन्हें मिला क्या? अब जंज़ीरों को तोड़ने का वक्त आ गया है।