लखनऊ। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर एबीपी-सी वोटर के सर्वे में भाजपा को एक बार फिर सत्ता मिलने की बात कहे जाने पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त है। विपक्ष ने इस सर्वे पर सवाल उठाते हुए कड़ी आलोचना की है।
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को कहा कि कल मीडिया के एक हिन्दी न्यूज़ चैनल द्वारा प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत पिछली बार के 40 प्रतिशत से भी अधिक दिखाने का प्री-पोल सर्वे प्रायोजित ही नहीं बल्कि लोगों को हवा हवाई, शरारतपूर्ण और भ्रमित करने वाला ही ज्यादा लगता है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
उन्होंने कहा कि इससे इनका खास मकसद भाजपा को मजबूत दिखाते रहने से ज्यादा बसपा के लोगों का मनोबल गिराना ही लगता है। इनको मालूम होना चाहिए कि बीएसपी के लोग इस प्रकार के षड्यंत्रों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे इस सर्वे के बहकावे में नहीं आने वाले हैं।
मायावती ने कहा कि प्रदेश की जनता महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है। इसलिए उसका ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बातें की जा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा राज में दलित, मुसलमान, पिछड़े व ब्राह्मण समाज के लोग सभी परेशान हैं और भाजपा की सरकार से छुटकारा चाहते हैं। बसपा द्वारा प्रदेश भर में किए जा रहे प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। इसके पहले चरण का समापन 7 सितम्बर को होगा। इसके बाद अगले चरण की योजना बनाई जाएगी।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट सुरेन्द्र राजपूत ने भी सर्वे पर सवाल उठाते हुए इसे फर्जी करार दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व सर्वे एक इलेक्शन कैम्पेन का हिस्सा होते हैं। क्या भाजपा योगी जी के नेतृत्व में चुनाव में हार मान चुकी है, जो फर्जी सर्वे का सहारा ले रही है।
इससे पहले एबीपी-सी वोटर ने सर्वे के हवाले से बताया कि उत्तर प्रदेश में फिर से बीजेपी को सत्ता मिल सकती है। यूपी के लोगों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा बरकरार है।
सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 259 से 267 सीटें मिल सकती है, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 109-117 सीटें मिलती दिख रही हैं। बीएसपी को 12-16 सीटें, कांग्रेस को 3-7 सीटें और अन्य को 6-10 सीटें मिल सकती है। पिछली बार बीजेपी को 325 और सपा को 48 सीटें मिली थीं। बसपा को 19 और कांग्रेस को सात सीटें हासिल हुईं थीं। नुकसान और फायदे की बात करें तो भाजपा को 62 से 65 सीटों का नुकसान हो रहा है। जबकि समाजवादी पार्टी को इतनी ही सीटों का फायदा होता दिख रहा है। बसपा को पांच और कांग्रेस को दो सीटों का नुकसान हो रहा है।
वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा गठबंधन को करीब 42 फीसदी, समाजवादी पार्टी गठबंधन को 30 फीसदी, बहुजन समाज पार्टी को 16 फीसदी, कांग्रेस को 5 फीसदी और अन्य को 7 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है।