ऑस्ट्रेलिया ने ऑकस समझौते को लेकर फ्रांस की कड़ी नाराजगी के बाद इस करार को सीधा सरल और ईमानदारी वाला करार दिया है। फ्रांस ने 2016 के समझौते को रद्द करने के फैसले को अपनी पीठ में घोंपने वाला करार दिया है।
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां य्वेस ले ड्रायन ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ उसके रिश्ते ‘संकट’ में होने की बात कही है। वहीं इस तनानती के बीच ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डुटोन ने रविवार को कहा कि फ्रांसीसी पनडुब्बियों के करार के मुद्दे पर फ्रांस की चिंताओं को लेकर ऑस्ट्रेलिया का रवैया ‘सीधा, सरल और ईमानदारी’ भरा रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ वर्ष 2016 के समझौते से जुड़ी अपनी चिन्ताएं शेयर की थीं। वर्ष 2016 में इसकी लागत 40 अरब डॉलर आंकी गई थी जो आज की तारीख में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन इस सौदे को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को जून में ऑस्ट्रेलिया की महत्वपूर्ण चिंताओं से अवगत कराने की बात कह चुके हैं।
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दरअसल पनडुब्बियों के ही निर्माण पर ऑस्ट्रेलिया ने अब अमेरिका और ब्रिटेन के साथ नया करार किया है, जिसे ऑकस समझौता कहा जा रहा है। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने 2016 के उस करार को समाप्त कर दिया है जिसके तहत फ्रांस के नैवल ग्रुप को पारम्परिक पनडुब्बियों के बेड़े के निर्माण का ठेका दिया गया था। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से भड़के फ्रांस ने वाशिंगटन और कैनबेरा से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के इस फैसले से भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरती हुई ताकत के तौर पर चीन भी तिलमिलाया हुआ है।