-अयोध्या, राम और रामायण से प्रेरणा लेने की दी नसीहत
अयोध्या। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने अयोध्या दौरे में राम और रामायण के आदर्शों को जीवन में ढालने की नसीहत दे गए। उन्होंने रामायण कॉन्क्लेव का शुभारम्भ कर जहां इसके जरिए जीवन के हर पक्ष में मार्गदर्शन मिलने की बात कही। वहीं वह रामलला के दर्शन करने वाले देश के पहले राष्ट्रपति बने। अयोध्या, राम और रामायण के विभिन्न पहलुओं का जिक्र कर उन्होंने इसका पालन करने के लिए भी प्रेरित किया। वहीं ‘राम सबके और सब में हैं राम’ का भी मंत्र दिया।
हनुमागढ़ी में दर्शन पूजन के बाद राष्ट्रपति श्रीराम जन्मभूमि परिसर पहुंचे और रामलला के दर्शन किए। वह कुछ समय तक रामलला की भव्य मूरत को निहारते रहे। दर्शन पूजन के बाद वैदिक मंत्रों के बीच उन्होंने पत्नी सविता कोविंद के साथ रामलला की आरती उतारी। इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने पूजा-अर्चना करवाई।
राष्ट्रपति ने राम मंदिर का निर्माण कार्य भी देखा। मंदिर निर्माण की प्रगति के बारे में उन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने जानकारी दी। राष्ट्रपति ने विराजमान रामलला से चंद कदमों की दूरी पर रुद्राक्ष का पौधा भी रोपित किया।
इससे पहले रामायण कॉन्क्लेव में अयोध्या के वैभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रामनगरी मानव सेवा का उत्कृष्ट केन्द्र बने। इसके साथ ही इसे शिक्षा और शोध का भी वैश्विक केन्द्र बनाया जाए। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय और युवा पीढ़ी को रामकथा में निहित जीवन मूल्यों से जोड़ना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि अयोध्या प्रभु राम की जन्म और लीला भूमि तो है ही, बिना राम के इस नगरी की कल्पना करना भी असंभव है। वहीं रामायण का प्रचार महत्वपूर्ण है। ये हमारे जीवन के सभी पहलुओं का मार्गदर्शन करती है। विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति का जिक्र करके उन्होंने इसकी विश्वव्यापी लोकप्रियता का भी जिक्र किया।
राष्ट्रपति कोविंद ने रामायण कान्क्लेव का किया शुभारंभ, बोले-अयोध्या वही, जहां राम
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अध्योध्या दौरा कई मायनों में बेहद अहम रहा। यह दूसरी बार है, जब कोई राष्ट्रपति अयोध्या पहुंचे। इससे पहले 1983 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह अयोध्या आए थे। लेकिन देश के प्रथम नागरिक के तौर पर रामलला के दर्शन का सौभाग्य राष्ट्रपति कोविंद को ही मिला। वहीं उनकी ये यात्रा श्रीराम और रामनगरी की अस्मिता को राष्ट्र की अस्मिता से जोड़ कर देखी जा रही है।