गाजियाबाद। इस्लाम छोड़कर हाल ही में हिन्दू धर्म अपनाने वाले शिया वक्फ बोर्ड (Shia Waqf Board) के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (Syed Waseem Rizvi) ने वक्फ बोर्ड की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने मुताव्वालीशिप से भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बोर्ड बैठक में पहुंचकर चेयरमैन को अपना इस्तीफा सौंपा। वक्फ एक्ट के मुताबिक, शिया मुस्लिम ही वक्फ बोर्ड में सदस्य या किसी अन्य पद पर रह सकता है। ऐसे में वसीम रिजवी ने खुद ही बोर्ड की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
अक्सर विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले वसीम रिजवी हाल ही में गाजियाबाद स्थित शिव शक्ति धाम स्थित डासना देवी मन्दिर में हिन्दू धर्म में शामिल हुए हैं। यह प्रक्रिया यति नरसिंहानंद गिरि महाराज के माध्यम से धार्मिक रीति-रिवाज से पूर्ण हुई थी। वसीम रिजवी ने सबसे पहले वैदिक मंत्रों के साथ मां काली की पूजा की और उसके बाद उनका शुद्धीकरण हुआ। उन्हें जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी नाम दिया गया।
अपने पद से इस्तीफा देने के बाद वसीम रिजवी ने कहा कि मोहम्मदी और कुरान को जो मानते हैं तथाकथित धर्म से जो ताल्लुक रखते हैं उसे मैं छोड़ चुका हूं। इसलिए मैंने आज शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य और सभी पदों को छोड़ दिया है। वसीम रिजवी ने कहा कि अब वहां हमारी कोई जरूरत नहीं इसलिए वह सभी पदों को त्याग कर दिया है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी लोग उन्हें निशाना बनाना चाह रहे थे और बनाते इसलिए उन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया।
उल्लेखनीय है कि शिया वक्फ कार्यकारिणी की बैठक चेयरमैन अली जैदी की अध्यक्षता में हो रही थी। इसमें बोर्ड को लेकर और वसीम रिजवी पर फैसला होना था। लेकिन, उससे पहले ही रिजवी ने इस्तीफा दे दिया।
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जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी और पूर्व में वसीम रिजवी की बात करें तो उनके पिता रेलवे के कर्मचारी थे। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वसीम रिजवी ने सऊदी अरब में जाकर होटल में काम। इसके बाद जापान में कारखाने में काम किया और फिर अमेरिका में नौकरी की। इस तरह तीन देशों में काम करने के बाद रिजवी लखनऊ वापस आ गए। यहां नगर निगम के चुनाव से उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। बाद में वह वक्फ बोर्ड सदस्य और चेयरमैन तक बने।
रिजवी के विवादित बयान
- देश की नौ विवादित मस्जिदों को हिन्दुओं को सौंप दें मुसलमान।
- हिन्दुस्तान की धरती पर कलंक की तरह है बाबरी ढांचा।
- पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने कारवां में सफेद या काले रंग का झंडा प्रयोग करते थे।
- इस्लामी मदरसों को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि ये आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
- बहुत से मदरसों में आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है, आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती।
- जानवरों की तरह बच्चे पैदा करने से देश को नुकसान।
- चांद तारे वाला हरा झंडा इस्लाम का धार्मिक झंडा नहीं है, पाकिस्तान मुस्लिम लीग से मिलता जुलता है।