टोक्यो। पैरालिंपिक में भारत का तीसरा पदक जीतने वाले विनोद कुमार ने रविवार को F52 वर्ग में पुरुषों के डिस्कस थ्रो फाइनल में कांस्य पदक हासिल किया। हालांकि, नवीनतम घटनाक्रम के अनुसार, उनके विकलांगता वर्गीकरण के विरोध के बाद कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा उनके पदक को रोक दिया गया है। इस सम्बन्ध में सोमवार तक फैसला सुनाया जाएगा।
बीएसएफ के 41 साल के जवान विनोद कुमार ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से एशियाई रेकार्ड बनाते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए। हालांकि विनोद कुमार की दिव्यांगता क्लासीफिकेशन पर विरोध के बाद पदक रोक दिया गया है। आयोजकों ने 22 अगस्त को विनोद का क्लासिफिकेशन किया था। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किस आधार पर क्लासिफिकेशन को चुनौती दी गई है।
दरअसल F52 कैटेगरी में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लम्बाई में अंतर होता है, जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं।
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— Paralympic India 🇮🇳 #Cheer4India 🏅 #Praise4Para (@ParalympicIndia) August 29, 2021
इस सम्बन्ध में खेलों के आयोजकों का एक आधिकारिक बयान साझा किया गया, जिसमें कहा गया, ‘प्रतियोगिता में वर्गीकरण अवलोकन के कारण इस आयोजन के परिणामों की समीक्षा की जा रही है। विजय समारोह को 30 अगस्त के शाम के सत्र के लिए स्थगित कर दिया गया है।’
भारत के दल प्रमुख गुरशरण सिंह ने कहा कि विनोद कुमार का पदक अभी बना रहेगा। उन्होंने कहा कि विरोध एक देश या शायद एक से ज्यादा देश से हो सकता है, हम नहीं जानते क्योंकि इसका खुलासा नहीं किया जा सकता। विनोद का पैरालिंपिक शुरू होने से पहले जो क्लासिफिकेशन किया गया था, उसमें कुछ मुद्दा हो सकता है।